पीएम मोदी और ट्रंप के बीच वार्ता की अफवाह का खंडन
नई दिल्ली। भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति के उस दावे का खंडन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे भरोसा दिलाया है कि भारत रूस से तेल की खरीद बंद कर देगा। इस दावे को लेकर भारत ने स्पष्ट किया है कि ऐसा कोई संवाद या टेलीफोन वार्ता नहीं हुई है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस मामले पर बताया कि उन्हें कल तक ऐसी किसी बातचीत की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, “हमारे दोनों नेताओं के बीच ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है और न ही कोई औपचारिक पुष्टि उपलब्ध है।”
विदेश मंत्रालय ने अपनी बयान में कहा कि भारत की हमेशा से प्राथमिकता रही है कि अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा हो।
ऊर्जा सुरक्षा और भारत का दृष्टिकोण
विदेश मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को सर्वोपरि मानता है। रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत हमेशा अपने ऊर्जा स्रोतों को विविध और सतत तरीके से सुनिश्चित करने का प्रयास करता रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि विदेशी दबावों या राजनीतिक दावों के आधार पर हमारी ऊर्जा नीति नहीं बदलेगी। भारत के उपभोक्ताओं और देश की ऊर्जा आवश्यकताओं की रक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान संघर्ष पर भारत का रुख
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के हालात पर भी स्पष्ट रुख पेश किया। उन्होंने कहा कि तीन बातें स्पष्ट हैं:
-
पाकिस्तान का आतंकवाद को संरक्षण देना: पाकिस्तान आज भी आतंकवादी संगठनों को पनाह देता है और उनके गतिविधियों का समर्थन करता है।
-
अपनी विफलताओं का ठीकरा दूसरों पर फोड़ना: पाकिस्तान की पुरानी आदत है कि वह अपनी आंतरिक विफलताओं के लिए पड़ोसियों को दोष देता है।
-
अफगानिस्तान की संप्रभुता पर नाराजगी: पाकिस्तान इस बात से नाराज है कि अफगानिस्तान अपने क्षेत्र में संप्रभु अधिकारों का प्रयोग कर रहा है।
रणधीर जायसवाल ने यह भी कहा कि भारत अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। भारत वहां पर स्थिरता और विकास की दिशा में सहयोग करता रहेगा।
काबुल में भारतीय मिशन और तकनीकी संक्रमण
विदेश मंत्रालय ने यह भी जानकारी दी कि काबुल में भारत का एक तकनीकी मिशन कार्यरत है। आने वाले कुछ दिनों में यह तकनीकी मिशन पूर्ण रूप से एम्बेसी के रूप में संक्रमण कर जाएगा। यह कदम अफगानिस्तान में स्थिर और प्रभावी भारतीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
निष्कर्ष
विदेश मंत्रालय ने इस पूरे घटनाक्रम पर स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच किसी प्रकार की आधिकारिक बातचीत नहीं हुई है। साथ ही, भारत की नीति हमेशा से देश के हित, ऊर्जा सुरक्षा और पड़ोसी देशों के साथ संतुलित कूटनीति पर आधारित रही है।
इस घटना ने एक बार फिर यह प्रमाणित किया कि अफवाहों और मीडिया रिपोर्ट्स पर ध्यान देने से पहले आधिकारिक पुष्टि आवश्यक है। भारत ने अपने रुख को स्पष्ट किया है और वैश्विक मंच पर अपनी नीति और संप्रभुता का बचाव किया है।