बेतिया जिले में दीपावली की रात परंपरागत उत्सव और रोशनी के बीच अचानक आपदा छा गई। लापरवाही और सुरक्षा नियमों की अवहेलना के कारण जिले के विभिन्न क्षेत्रों में आतिशबाजी के दौरान 48 लोग झुलस गए। बेतिया जीएमसीएच में पहुंचाए गए घायलों में अधिकांश हल्के और मध्यम स्तर के जख्मी थे, जबकि आठ लोग गंभीर अवस्था में भर्ती हैं।
अस्पताल प्रशासन ने पहले से ही बर्न मरीजों के लिए विशेष तैयारी की थी। सी ब्लॉक के पांचवें तल पर 12 बेड का बर्न वार्ड स्थापित किया गया, जहां प्रशिक्षित चिकित्सक और नर्सों की टीम लगातार ड्यूटी पर थी।
बर्न मरीजों की स्थिति और उपचार
घायलों में मुख्य रूप से बच्चों, युवकों और महिलाओं को शामिल पाया गया। आतिशबाजी के दौरान पटाखों के अचानक फटने, रॉकेट और अनार की चिंगारी से आग लगने की घटनाएं हुईं। ज्यादातर मरीजों को हाथ और पैरों में जलन और चोटें आईं। कुछ के चेहरे पर भी जख्म हुए।
अस्पताल सूत्रों के अनुसार, लगभग 40 मरीज मामूली उपचार के बाद घर भेज दिए गए। गंभीर रूप से झुलसे आठ मरीजों को विशेष बर्न वार्ड में भर्ती किया गया है। इनमें इंदिरा चौक के मनोज महतो (35), नौतन पुरंदरपुर के रीकेश यादव (35), कमलनाथ नगर से मनीष कुमार (32), देवनगर के अरवी कुमार (02) तथा बैरिया के तनया कुमारी (12) शामिल हैं।
अस्पताल में आपातकालीन तैयारी
जीएमसीएच उपाधीक्षक डॉ. दिवाकांत मिश्र ने बताया कि दीपावली से पूर्व ही अस्पताल प्रशासन ने सभी आवश्यक व्यवस्थाएं पूरी कर ली थीं। बर्न वार्ड के अलावा विभिन्न वार्डों में अतिरिक्त दवाइयां, ड्रेसिंग सामग्री और बिस्तरों की व्यवस्था की गई थी।
सर्जिकल वार्ड में रातभर इमरजेंसी संचालन सुचारु रखा गया। डॉ. मिश्र ने कहा कि इस बार पिछले वर्ष की तुलना में बर्न मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आतिशबाजी के समय सावधानी की कमी ने गंभीर परिणाम उत्पन्न किए।
जागरूकता की आवश्यकता
विशेषज्ञों का कहना है कि दीपावली पर आग से होने वाले हादसों को रोकने के लिए परिवारों को बच्चों की सुरक्षा और सुरक्षित स्थान पर आतिशबाजी करने का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पटाखों का सुरक्षित भंडारण, रॉकेट और अनार का सही दिशा में प्रक्षेपण, और सुरक्षात्मक उपकरणों का उपयोग अनिवार्य है।
जिलाधिकारी ने भी लोगों से आग्रह किया है कि वे घरों और सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षित तरीके से ही आतिशबाजी करें। लापरवाही के कारण न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामूहिक नुकसान हो सकता है।
प्रशासन और समाज की भूमिका
घटना के पश्चात प्रशासन ने शहर के विभिन्न हिस्सों में अग्निशमन और स्वास्थ्य कर्मचारियों की तैनाती बढ़ा दी है। यह घटना यह संदेश देती है कि उत्सव की खुशी में सुरक्षा की अनदेखी न की जाए।
बेतिया के लोग इस हादसे से सबक लेकर आगामी वर्षों में सतर्क रहने की आवश्यकता है। परिवारों और बच्चों की सुरक्षा ही सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।