राज्यव्यापी अभियान और लक्ष्य | Maharashtra Farmer Cup
महाराष्ट्र सरकार और पानी फाउंडेशन राज्य के सभी तालुकों और गांवों में “फार्मर कप” उपक्रम का विस्तार करने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि इस अभियान के तहत वर्ष 2026-27 तक 15,000 शेतकरी उत्पादक गट (FPOs) बनाने का लक्ष्य है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य किसानों को सामूहिक खेती, आधुनिक कृषि तकनीक और बेहतर बाजार उपलब्ध कराना है, जिससे उनकी आय और जीवनस्तर में सुधार हो सके।
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उच्चस्तरीय समिति का गठन
Maharashtra Farmer Cup: इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कृषि विभाग के प्रधान सचिव विकास चंद्र रस्तोगी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई है। यह समिति किसानों के लिए संपूर्ण कार्ययोजना तैयार करेगी, जिसमें सेंद्रिय और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना, रसायनिक खत और कीटनाशकों का उपयोग कम करना, तथा खेती में नई तकनीकों का समावेश करना शामिल है।
पानी फाउंडेशन का योगदान
पानी फाउंडेशन के संस्थापक आमिर खान ने इस पहल को किसानों की आजीविका सुधारने और कृषि क्षेत्र में संगठनात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि अब तक 50,000 से अधिक किसान, जिनमें आधे महिलाएं शामिल हैं, इस योजना का हिस्सा बन चुके हैं।
पानी फाउंडेशन का यह प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि सुधार और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए एक सशक्त मॉडल के रूप में देखा जा रहा है।
आर्थिक और उत्पादकता लाभ
पानी फाउंडेशन के CEO सत्यजित भटकळ ने बताया कि गटशेती अपनाने से प्रति एकड़ लागत में लगभग 20% की बचत और मुनाफे में 100% तक की वृद्धि संभव है। इस योजना से न केवल किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि उनका जीवनस्तर और रोजगार के अवसर भी बेहतर होंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि सामूहिक खेती और नवीन तकनीकों के उपयोग से किसानों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी और उन्हें बाजार में अपनी पैदावार का बेहतर मूल्य भी मिलेगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी सुधार की उम्मीद
Maharashtra Farmer Cup: “फार्मर कप” पहल न केवल किसानों की आजीविका सुधारने के लिए है बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाएगी। इस योजना के माध्यम से किसानों को संगठित ढंग से उत्पादन और बिक्री का अनुभव मिलेगा, जो लंबे समय में उन्हें आर्थिक स्थिरता और आत्मनिर्भरता की दिशा में ले जाएगा।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस पहल को राज्य के पिछड़े और आदिवासी जिलों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण बताया। उनका कहना है कि इस अभियान से ग्रामीण समुदायों में सकारात्मक परिवर्तन और जागरूकता आएगी।