Alok Mehta Faces Public Protest in Ujiarpur, जनता ने चुनावी वादों पर जताया गुस्सा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक हैं और इसी बीच राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सभी दलों के नेता जनता से रूबरू हो रहे हैं, लेकिन हर जगह स्वागत नहीं हो रहा। ताजा मामला समस्तीपुर जिले के उजियारपुर विधानसभा का है, जहां Alok Mehta Faces Public Protest की खबर सुर्खियों में है।
राजद (RJD) विधायक आलोक कुमार मेहता जब अपने क्षेत्र में पहुंचे तो उन्हें जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों ने पांच साल तक गैरहाजिर रहने और केवल चुनावी समय पर लौटने का आरोप लगाते हुए कड़ा विरोध किया।
पहला विरोध: सैदपुर जाहिद गांव
सैदपुर जाहिद गांव में जैसे ही आलोक मेहता पहुंचे, ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया। लोगों ने कहा कि पूरे पांच साल विधायक क्षेत्र में नजर नहीं आए। उनका कहना था कि चुनाव के समय ही नेता वोट मांगने आते हैं और उसके बाद जनता को भूल जाते हैं। आक्रोशित ग्रामीणों ने साफ कहा कि इस बार वे स्थानीय उम्मीदवार को ही समर्थन देंगे और बाहर से आने वाले नेताओं को वोट नहीं देंगे।
दूसरा विरोध: रायपुर पंचायत
दूसरी घटना रायपुर पंचायत के आईटीआई कॉलेज के पास महादलित टोला की है। यहां भी आलोक मेहता को विरोध का सामना करना पड़ा। हालात बिगड़ने पर उन्होंने मीडिया से कैमरा बंद करने की अपील तक की। यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और बड़ी संख्या में लोग इस पर प्रतिक्रिया देने लगे।
चुनावी असर और राजनीतिक संकेत
विशेषज्ञ मानते हैं कि उजियारपुर में इस तरह का विरोध Bihar Elections 2025 में राजद के लिए बड़ा संकट पैदा कर सकता है। जहां एक ओर विपक्षी दल इस घटना को चुनावी मंच पर मुद्दा बनाएंगे, वहीं जनता का यह रुख RJD के पारंपरिक वोट बैंक में दरार डाल सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आज मतदाता सिर्फ वादों पर भरोसा नहीं करते। वे विकास की वास्तविकता देखना चाहते हैं। आलोक मेहता का विरोध इस बात का संकेत है कि जनता अब हिसाब मांग रही है।
वेब स्टोरी:
विपक्ष की रणनीति
भाजपा (BJP), जदयू (JDU) और अन्य दल निश्चित तौर पर इस मुद्दे को उछालेंगे। उनके लिए यह एक मौका है RJD पर हमला बोलने का। उजियारपुर जैसी सीट पर यदि माहौल बदलता है, तो इसका असर पड़ोसी क्षेत्रों तक भी जा सकता है।
जनता का स्पष्ट संदेश
उजियारपुर की जनता ने साफ संदेश दिया है कि नेताओं के लिए केवल नारों और घोषणाओं से चुनाव जीतना मुश्किल होगा। मतदाता अब यह देखना चाहते हैं कि पांच साल में क्षेत्र में कितना काम हुआ और कितनी समस्याएं हल हुईं।
यह विरोध केवल आलोक मेहता के लिए नहीं बल्कि पूरे बिहार के नेताओं के लिए चेतावनी है कि जनता अब ज्यादा जागरूक है और वह हर वादे का हिसाब मांग रही है।