ट्रंप टैरिफ ने बिगाड़ा भारत-अमेरिका व्यापार का संतुलन
नई दिल्ली, बिज़नेस डेस्क।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ का सीधा असर अब भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों पर दिखाई दे रहा है। भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात लगातार चौथे महीने घटा है। ताज़ा रिपोर्ट में बताया गया है कि सितंबर 2025 में भारतीय निर्यात 5.5 अरब डॉलर पर सिमट गया, जो अगस्त की तुलना में 20.3% कम है।
यह गिरावट सिर्फ एक महीने की नहीं, बल्कि पिछले चार महीनों से लगातार जारी है। मई में जहाँ भारत का निर्यात 8.8 अरब डॉलर था, वहीं सितंबर तक यह घटकर 5.5 अरब डॉलर रह गया — यानी लगभग 37.5% की कुल कमी।
GTRI रिपोर्ट ने खोली हकीकत
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन द्वारा बढ़ाए गए टैरिफ के कारण अमेरिका भारत के लिए सबसे अधिक प्रभावित बाजार के रूप में उभरा है।
रिपोर्ट कहती है —
“टैरिफ वृद्धि के बाद से भारत से अमेरिका को जाने वाला निर्यात सबसे तेजी से गिरा है। आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि अमेरिका अब भारत के लिए सबसे संवेदनशील निर्यात बाजार बन गया है।”
निर्यात गिरावट का मासिक विश्लेषण
महीना | निर्यात मूल्य (अरब डॉलर में) | गिरावट (%) |
---|---|---|
मई 2025 | 8.8 | — |
जून 2025 | 8.3 | -5.7% |
जुलाई 2025 | 8.0 | -3.6% |
अगस्त 2025 | 6.9 | -13.8% |
सितंबर 2025 | 5.5 | -20.3% |
यह आँकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि मई से सितंबर के बीच चार महीनों में ही भारत के अमेरिका को निर्यात में 3.3 अरब डॉलर की कमी आई है।
सबसे ज़्यादा असर इन क्षेत्रों पर
GTRI रिपोर्ट बताती है कि टैरिफ बढ़ने से सबसे अधिक असर उन सेक्टरों पर पड़ा है जो पहले से ही वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे थे —
-
कपड़ा उद्योग (Textiles)
-
रत्न और आभूषण (Gems & Jewellery)
-
इंजीनियरिंग सामान (Engineering Goods)
-
रसायन उत्पाद (Chemicals)
इन क्षेत्रों की शिपमेंट में 25–50% तक की गिरावट दर्ज की गई है। टैरिफ वृद्धि 10% से शुरू होकर अगस्त में 25% और सितंबर के अंत तक 50% तक पहुँच गई, जिससे भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान झेलना पड़ा।
ट्रंप के बयानों ने बढ़ाई अनिश्चितता
रिपोर्ट के अलावा, ट्रंप के बयान भी व्यापारिक माहौल में अनिश्चितता बढ़ा रहे हैं। कभी वह भारत को “महत्वपूर्ण साझेदार” बताते हैं, तो कभी प्रतिबंधों की धमकी देते हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि भारत “रूस से तेल खरीदना बंद करेगा”, जबकि दूसरी ओर उन्होंने दावा किया कि उनकी “भारत के प्रधानमंत्री से इस विषय पर सकारात्मक बात हुई है।”
ऐसे विरोधाभासी बयानों से भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में नीतिगत अस्थिरता का माहौल बन गया है।
India-US Trade Deal पर बातचीत जारी
टैरिफ विवाद के चलते India-US Trade Deal को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है। हालांकि, दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय बातचीत जारी है।
GTRI रिपोर्ट के अनुसार, अगर जल्द ही कोई ठोस समाधान नहीं निकला तो भारत के हैंडमेड गारमेंट, इंजीनियरिंग और जेम्स सेक्टर को और भी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
कुछ रिपोर्ट्स का कहना है कि दोनों देश नवंबर 2025 तक किसी प्रारंभिक समझौते पर पहुँच सकते हैं, लेकिन आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
भारत के लिए सबक और चुनौतियाँ
भारत के लिए यह परिस्थिति एक बड़ा संकेत है कि निर्यात पोर्टफोलियो में विविधता लाने की आवश्यकता है।
भारत को अब अपने व्यापारिक साझेदारों में यूरोप, मध्य पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे बाजारों पर ज़ोर देना होगा, ताकि अमेरिकी निर्भरता घटाई जा सके।
सरकार ने पहले ही एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम्स और डिजिटल ट्रेड पॉलिसी के ज़रिए नई रणनीतियाँ तैयार करना शुरू कर दिया है।
अस्वीकरण:
इस लेख में दिए गए सभी आंकड़े और रिपोर्टें सार्वजनिक स्रोतों, जैसे GTRI रिपोर्ट और आर्थिक सर्वेक्षणों से संकलित हैं। RB News इन रिपोर्टों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं करता। पाठकों से अनुरोध है कि इस जानकारी को निवेश या व्यापार निर्णय का आधार न बनाएं और अपने विवेक से कार्य करें।