चक्रवात ‘मोंथा’ की रफ्तार धीमी, मगर असर बरकरार
ओडिशा में चक्रवात ‘मोंथा’ के कमजोर पड़ने के बावजूद कई ज़िलों में मंगलवार रात से लगातार बारिश और तेज़ हवाएं जारी रहीं। भुवनेश्वर, कटक, पुरी, बालासोर, और मयूरभंज में लोगों को भारी जलभराव और जनजीवन अस्त-व्यस्त होने की स्थिति का सामना करना पड़ा। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि चक्रवात अब कमज़ोर होकर ‘डीप डिप्रेशन’ में तब्दील हो गया है, लेकिन उसके अवशेष अभी भी राज्य के कई हिस्सों में सक्रिय हैं।

ओडिशा के तटीय ज़िलों में बारिश और हवाओं का कहर
मौसम विभाग के मुताबिक, ओडिशा के तटीय इलाकों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं। खुर्दा, पुरी और कटक ज़िले में पेड़ उखड़ने और बिजली के खंभे गिरने की घटनाएं दर्ज की गईं।
भारी वर्षा के आंकड़े
मयूरभंज में सर्वाधिक 105 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जबकि बालासोर में 93.5 मिमी और खुर्दा में 90 मिमी बारिश हुई। चांदबली में भी 74.4 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई।
भूस्खलन और संपत्तियों को नुकसान
राज्य के कई पहाड़ी और तटीय क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाएं सामने आईं। विशेष राहत आयुक्त कार्यालय ने बताया कि कई ग्रामीण इलाकों में घरों की दीवारें गिर गईं और कच्चे मकानों को आंशिक क्षति पहुंची।

रेड और ऑरेंज अलर्ट वापस, अब येलो चेतावनी जारी
IMD ने दक्षिण ओडिशा के लिए जारी रेड और ऑरेंज अलर्ट वापस ले लिया है। अब ‘येलो अलर्ट’ जारी किया गया है, जिसमें लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
प्रभावित जिले
गंजाम, सुंदरगढ़, केओंझर, मयूरभंज, बालासोर, भद्रक, कोरापुट, मलकानगिरी, रायगढ़ा, गजपति, कालाहांडी और नबरंगपुर ज़िलों में अगले 24 घंटे तक भारी वर्षा की संभावना जताई गई है।
हवा की रफ्तार में कमी
भुवनेश्वर मौसम केंद्र की निदेशक डॉ. मनोरमा मोहंती के अनुसार, “मलकानगिरी और कोरापुट में हवा की गति 45 से 55 किमी प्रति घंटा तक रह सकती है, जबकि गजपति, रायगढ़ा, कालाहांडी और नबरंगपुर में 35 से 45 किमी प्रति घंटा की रफ्तार दर्ज होगी।”
मुख्यमंत्री ने की समीक्षा बैठक
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने मंगलवार रात स्थिति की समीक्षा करते हुए बताया कि ‘मोंथा’ से राज्य में कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि राहत और बचाव टीमों को सतर्क रखा गया है और जब तक तंत्र पूरी तरह शांत नहीं हो जाता, निगरानी जारी रहेगी।

मौसम विभाग की ताज़ा स्थिति रिपोर्ट
भारत मौसम विभाग के अनुसार, बुधवार सुबह 5:30 बजे तक ‘मोंथा’ का केंद्र आंध्र प्रदेश के नरसापुर से 80 किमी उत्तर-पश्चिम में और ओडिशा के गोपालपुर से 460 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित था।
सिस्टम के अगले कुछ घंटों में और कमजोर होकर ‘डिप्रेशन’ में बदलने की संभावना है।
लगातार निगरानी जारी
मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि चक्रवात की गतिविधियों पर डॉप्लर वेदर रडार और सैटेलाइट डेटा से निरंतर नज़र रखी जा रही है। मछुआरों को समुद्र में न जाने की सख्त हिदायत दी गई है, जबकि तटीय इलाकों में प्रशासन ने अलर्ट मोड बनाए रखा है।
लोगों की दिक्कतें और प्रशासन की मुस्तैदी
राज्य के कई हिस्सों में बिजली आपूर्ति बाधित हुई है, वहीं सड़कों पर जलभराव से यातायात प्रभावित हुआ है।
नगर निकायों की टीमें लगातार जलनिकासी में जुटी हैं, जबकि राहत शिविरों में हजारों लोगों को अस्थायी रूप से ठहराया गया है।
निष्कर्ष: सावधानी ही सुरक्षा का उपाय
हालांकि ‘मोंथा’ अब कमजोर हो चुका है, लेकिन उसके अवशेष अभी भी भारी बारिश और हवाओं के रूप में राज्य पर असर डाल रहे हैं। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे बिना ज़रूरत घरों से बाहर न निकलें और स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें।