संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है और इसके पहले ही विपक्षी दलों ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर को लेकर विपक्ष ने तीखा रुख अपनाया है और संकेत दिए हैं कि सत्र के दौरान इस मुद्दे को पूरी ताकत से उठाया जाएगा। विपक्षी नेताओं का कहना है कि चुनाव आयोग द्वारा चलाई जा रही यह प्रक्रिया लोकतंत्र के लिए खतरा है और इसके जरिए आम लोगों का मतदान का अधिकार छीना जा रहा है।
समाजवादी पार्टी के अयोध्या से सांसद अवधेश प्रसाद ने इस मामले को बेहद गंभीर बताते हुए कहा है कि पूरा विपक्ष मिलकर संसद में इस पर सवाल उठाएगा। उनका आरोप है कि सरकार एसआईआर के माध्यम से लोगों के वोट डालने के अधिकार को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
एसआईआर को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया गया
अवधेश प्रसाद ने संसद भवन के बाहर मीडिया से बात करते हुए कहा कि एसआईआर सबसे बड़ा मुद्दा है और यह लोकतंत्र एवं संविधान दोनों के लिए बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि वोट के अधिकार से बढ़कर किसी लोकतांत्रिक देश में कुछ भी नहीं हो सकता। यह मूल अधिकार है और इसे छीनने की कोशिश की जा रही है।
सपा सांसद ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार चाहती है कि एसआईआर के जरिए लोगों का वोट डालने का अधिकार ही समाप्त कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह साफ दिख रहा है कि पार्टी लाइन के आधार पर बूथ स्तरीय अधिकारियों यानी बीएलओ की नियुक्ति की गई है। इनमें से ज्यादातर भाजपा के कार्यकर्ताओं को ही फॉर्म दे रहे हैं।
बीएलओ की नियुक्ति पर उठे सवाल
अवधेश प्रसाद ने बताया कि एसआईआर की अंतिम तारीख को बढ़ा भी दिया गया है, लेकिन बहुत से बीएलओ ऐसे हैं जिन्होंने अपनी जान तक दे दी। उन्होंने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया संदेहास्पद है और इसे पारदर्शी तरीके से नहीं चलाया जा रहा है। विपक्ष इस मामले को एकजुटता के साथ संसद में उठाएगा और जवाब मांगेगा।
समाजवादी पार्टी के नेता का कहना है कि जब तक सरकार इस मुद्दे पर स्पष्ट जवाब नहीं देती, तब तक विपक्ष चुप नहीं बैठेगा। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक पार्टी का मुद्दा नहीं है बल्कि पूरे देश के लोकतंत्र से जुड़ा मामला है।
कांग्रेस ने भी उठाई आवाज
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी इस मुद्दे को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यदि लोकतंत्र ही नहीं है तो फिर संसद के भी क्या मायने रह जाते हैं। उनका कहना है कि चुनाव सुधारों के नाम पर सरकार और निर्वाचन आयोग मिलकर लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश में हैं।
इमरान मसूद ने आरोप लगाया कि संविधान में जो सीमाएं और संतुलन बनाए गए थे, उन्हें खत्म किया जा रहा है। यह इसलिए ताकि कोई संतुलन ना रहे और चेक एंड बैलेंस की व्यवस्था को समाप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति बनाई जा रही है कि कोई एफआईआर ना करा सके, अदालत ना जा सके और इनके खिलाफ कोई कुछ करने की स्थिति में ना रहे।
46 लाख वोटरों के नाम कटने का मामला
कांग्रेस सांसद ने एक गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर चुनाव आयोग क्यों नहीं बताता कि 46 लाख वोटरों के नाम कैसे कट गए और वे लोग कहां चले गए। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा सवाल है जिसका जवाब देश की जनता को मिलना चाहिए।
इमरान मसूद ने कहा कि उनकी पार्टी पूरी ताकत से यह मुद्दा उठाएगी और सरकार से जवाब मांगेगी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए विपक्ष को मजबूती से खड़ा होना होगा।
रामगोपाल यादव ने दी चेतावनी
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने तो और भी सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जब तक एसआईआर पर चर्चा नहीं होगी, तब तक संसद को चलने नहीं दिया जाएगा। यह बयान संकेत देता है कि शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहने वाला है।
रामगोपाल यादव का कहना है कि यह मुद्दा इतना गंभीर है कि इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। विपक्ष की ओर से यह साफ संदेश है कि वे इस मामले पर पीछे हटने वाले नहीं हैं।
विपक्ष की एकजुटता का संदेश
इन बयानों से साफ है कि विपक्षी दल इस मुद्दे पर एकजुट हैं। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल मिलकर संसद में इस मामले को उठाएंगे। विपक्ष का मानना है कि एसआईआर के माध्यम से वोटर लिस्ट में हेरफेर किया जा रहा है और यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है।
विपक्षी नेताओं का कहना है कि सरकार को इस मामले में स्पष्टता लानी होगी। उन्हें बताना होगा कि किस आधार पर नाम काटे जा रहे हैं और इसकी प्रक्रिया क्या है। विपक्ष चाहता है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो।
सत्र में हंगामे के आसार
शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही यह साफ हो गया है कि यह सत्र आसान नहीं रहने वाला। विपक्ष के तेवर देखते हुए कहा जा सकता है कि संसद में जोरदार बहस और हंगामे के आसार हैं। एसआईआर के मुद्दे पर विपक्ष की मजबूत स्थिति है और वे इसे किसी भी कीमत पर उठाने के लिए तैयार हैं।
सत्तापक्ष की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन विपक्ष के तेवर देखते हुए सरकार को भी अपना पक्ष रखना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले पर क्या रुख अपनाती है।
लोकतंत्र की रक्षा का सवाल
विपक्ष का मुख्य तर्क यह है कि एसआईआर लोकतंत्र के लिए खतरा है। वोट डालने का अधिकार लोकतंत्र का मूल आधार है और इसमें किसी भी तरह की कमी या हेरफेर को सहन नहीं किया जा सकता। विपक्षी दलों का कहना है कि वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करेंगे।
यह मुद्दा केवल राजनीतिक नहीं है बल्कि देश के हर नागरिक से जुड़ा है। हर व्यक्ति को अपना वोट डालने का अधिकार है और इस अधिकार की रक्षा जरूरी है। विपक्ष का कहना है कि वे जनता के इस अधिकार को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
आगे क्या होगा
शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है और आने वाले दिनों में एसआईआर पर गरमागरम बहस देखने को मिलेगी। विपक्ष अपनी बात रखेगा और सरकार को जवाब देना होगा। यह देखना होगा कि क्या सरकार विपक्ष की चिंताओं को दूर कर पाती है या यह मुद्दा और गहराता है।
संसद में इस मुद्दे पर क्या होता है, यह तय करेगा कि आने वाले समय में चुनावी प्रक्रिया किस दिशा में जाती है। लोकतंत्र की मजबूती के लिए यह जरूरी है कि हर सवाल का सही जवाब मिले और पारदर्शिता बनी रहे।