नई दिल्ली: सड़क सुरक्षा को मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने मंगलवार को रिलायंस जियो के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत पूरे देश के राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क पर टेलीकॉम आधारित सुरक्षा चेतावनी प्रणाली शुरू की जाएगी। यह व्यवस्था यात्रियों को उनके मोबाइल फोन पर खतरनाक इलाकों की समय पर जानकारी देगी।
एनएचएआई ने अपने बयान में कहा कि जियो के मौजूदा 4G और 5G नेटवर्क का उपयोग करते हुए यात्रियों को उनके मोबाइल फोन पर चेतावनी संदेश भेजे जाएंगे। ये चेतावनियां तब मिलेंगी जब वे किसी खतरनाक जगह के पास पहुंचेंगे। इन खतरनाक जगहों में दुर्घटना वाले इलाके, आवारा पशुओं के क्षेत्र, कोहरे से प्रभावित इलाके और आपातकालीन मार्ग परिवर्तन शामिल हैं।
कैसे काम करेगी यह प्रणाली
यह नई व्यवस्था पूरी तरह से स्वचालित होगी और जियो के सभी मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए काम करेगी जो राष्ट्रीय राजमार्गों पर या उसके आसपास होंगे। यात्रियों को एसएमएस, व्हाट्सएप और जरूरत पड़ने पर हाई प्रायोरिटी कॉल के जरिए चेतावनी दी जाएगी। यह प्रणाली यात्रियों को किसी खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले ही चेतावनी देगी, जिससे वे अपनी गति और गाड़ी चलाने के तरीके में समय रहते बदलाव कर सकें।
इस प्रणाली की खास बात यह है कि इसमें मौजूदा टेलीकॉम टावरों का ही इस्तेमाल होगा। इसका मतलब है कि इसे जल्दी से लागू किया जा सकता है और सड़क किनारे किसी अतिरिक्त हार्डवेयर की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह समाधान तकनीकी रूप से सरल और प्रभावी है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ जुड़ाव
एनएचएआई ने बताया कि इस प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से उनके डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ जोड़ा जाएगा। इसमें ‘राजमार्गयात्रा’ मोबाइल एप्लिकेशन और आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर 1033 शामिल हैं। यात्री पहले से ही इन सेवाओं का उपयोग करते हैं और नई चेतावनी प्रणाली इन्हें और भी प्रभावी बना देगी।
राजमार्गयात्रा ऐप पहले से ही यात्रियों को विभिन्न सुविधाओं की जानकारी देता है। अब इस नए सिस्टम के साथ यात्रियों को वास्तविक समय में खतरे की चेतावनी भी मिलेगी। यह सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है।
50 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं तक पहुंच
यह रणनीतिक साझेदारी जियो के डिजिटल बुनियादी ढांचे का लाभ उठाएगी, जो देश में 50 करोड़ से अधिक ग्राहकों को सेवा प्रदान करता है। इतनी बड़ी संख्या में उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने की क्षमता इस पहल को बेहद प्रभावी बनाती है। जियो नेटवर्क की व्यापक उपलब्धता का मतलब है कि अधिकांश यात्रियों को इस सेवा का लाभ मिलेगा।
एनएचएआई के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वे अन्य दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ भी इसी तरह की व्यवस्था करेंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी नेटवर्क के उपयोगकर्ताओं को इस सुरक्षा सुविधा का लाभ मिले। यह कदम समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाता है।
सड़क सुरक्षा में नई क्रांति
भारत में सड़क दुर्घटनाएं एक बड़ी समस्या हैं। हर साल हजारों लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं। इनमें से कई दुर्घटनाएं ऐसी होती हैं जिन्हें समय पर चेतावनी मिलने से रोका जा सकता था। यह नई व्यवस्था इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
खासकर कोहरे के मौसम में राजमार्गों पर दृश्यता कम हो जाती है और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। इसी तरह आवारा पशु भी सड़क पर अचानक आ जाते हैं, जिससे गंभीर हादसे होते हैं। अब यात्रियों को इन खतरों की पहले से जानकारी मिलेगी, जिससे वे सतर्क रह सकेंगे।
तकनीक का सही उपयोग
यह पहल दिखाती है कि कैसे आधुनिक तकनीक का उपयोग जन सुरक्षा के लिए किया जा सकता है। 4G और 5G नेटवर्क की व्यापक उपलब्धता और स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग ने ऐसी व्यवस्थाएं संभव बनाई हैं। यह एक उदाहरण है कि कैसे सरकारी संस्थाएं और निजी कंपनियां मिलकर जनहित के काम कर सकती हैं।
एनएचएआई लगातार सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए नए प्रयास कर रहा है। इससे पहले भी विभिन्न सुरक्षा उपाय लागू किए गए हैं। लेकिन यह टेलीकॉम आधारित चेतावनी प्रणाली एक अनूठा प्रयास है जो सीधे यात्रियों तक पहुंचता है।
आपातकालीन स्थितियों में मददगार
यह व्यवस्था न केवल नियमित खतरों बल्कि आपातकालीन स्थितियों में भी उपयोगी होगी। अगर किसी राजमार्ग पर अचानक रास्ता बदलना पड़े या कोई अन्य आपातकालीन स्थिति हो, तो यात्रियों को तुरंत सूचित किया जा सकेगा। यह यातायात प्रबंधन को भी बेहतर बनाएगा।
यात्री अपनी गति और मार्ग में समय रहते बदलाव कर सकेंगे। इससे न केवल दुर्घटनाएं कम होंगी बल्कि यातायात का प्रवाह भी सुचारू रहेगा। लंबी यात्राओं में यह विशेष रूप से लाभदायक होगा।
भविष्य की योजनाएं
एनएचएआई की योजना है कि इस प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लागू किया जाए। शुरुआत में कुछ प्रमुख राजमार्गों पर इसका परीक्षण किया जाएगा। सफल परीक्षण के बाद इसे धीरे-धीरे सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर विस्तारित किया जाएगा।
यह पहल भारत को सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में आगे ले जाएगी। विश्व स्तर पर भी ऐसी तकनीक आधारित सुरक्षा प्रणालियां अपनाई जा रही हैं। भारत में इसका सफल क्रियान्वयन एक मिसाल बनेगा।
यात्रियों से अपेक्षा है कि वे इन चेतावनियों को गंभीरता से लें और सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करें। तकनीक केवल सहायता कर सकती है, लेकिन जिम्मेदार ड्राइविंग अंततः यात्रियों के हाथ में है। यह साझेदारी सड़क सुरक्षा के लिए एक नई शुरुआत है।