चकाई विधानसभा में चुनावी रणभूमि: महाभारत का रंग
जमुई जिले के चकाई विधानसभा क्षेत्र में 2025 का चुनावी माहौल पहले से ही गर्म है। नामांकन प्रक्रिया शुरू होते ही स्थानीय राजनीतिक गलियों में ‘महाभारत’ की चर्चा तेज हो गई है। इस बार जदयू प्रत्याशी सुमित खुद को अभिमन्यू मानते हुए मैदान में उतरे हैं। 2020 में उन्होंने बतौर निर्दलीय लगभग 500 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी और मंत्री बनकर अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत की थी।
पिछले पांच वर्षों में उनकी लोकप्रियता पर एंटी-इंकम्बेंसी का प्रभाव दिखा, लेकिन इस बार उन्हें एनडीए गठबंधन का समर्थन मिलने से उत्साहपूर्ण माहौल बना है। सुमित के समर्थक और पुराने कार्यकर्ता उनकी रणनीति और आत्मविश्वास से प्रफुल्लित हैं।
चकाई की राजनीतिक विरासत: दो परिवारों का प्रभुत्व
चकाई की राजनीति पर हमेशा से दो परिवारों का दबदबा रहा है—स्व. फाल्गुनी प्रसाद यादव और स्व. नरेन्द्र सिंह परिवार। राजद प्रत्याशी सावित्री देवी के अनुसार, इस क्षेत्र में तीसरे प्रत्याशी के लिए गुंजाइश कम ही रही है। हालांकि, 2020 में जदयू के संजय प्रसाद ने इसका प्रतिवाद किया था, परंतु मामूली अंतर से हार गए।
संजय प्रसाद अपनी राजनीतिक उपस्थिति बनाए रखे हैं और इस बार सुमित को घेरे में लेने के लिए सक्रिय रणनीति बना रहे हैं। चकाई में अब विरोधी गठबंधन ने सुमित के खिलाफ चक्रव्यूह रचना शुरू कर दी है। इस चक्रव्यूह में राजद से सावित्री देवी, जन सुराज से राहुल सिंह और निर्दलीय प्रत्याशी चंदन सिंह की भागीदारी सुनिश्चित है।
सुमित का अभिमन्यू वाला साहस
सुमित के चाणक्य और पुराने कार्यकर्ता भास्कर सिंह का कहना है कि “अभिमन्यू डरने वाले नहीं होते। सुमित पूरी रणनीति के साथ मैदान में आए हैं और विरोधियों के चक्रव्यूह को भेदने के लिए तैयार हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि इस बार एनडीए गठबंधन की जातीय गोलबंदी और विकास कार्यों का प्रदर्शन सुमित के पक्ष में निर्णायक साबित हो सकता है।
सुमित की चुनावी तैयारी और गठबंधन की ताकत उन्हें स्थानीय राजनीति में विरोधियों से अलग स्थान दिला सकती है। उनके समर्थक मानते हैं कि पिछली बार की मामूली जीत के अनुभव ने उन्हें अधिक परिपक्व और रणनीतिक बना दिया है।
गठबंधन का पांच पांडव मॉडल
इस चुनाव में एनडीए गठबंधन को ‘पांच पांडव’ के रूप में देखा जा रहा है। प्रत्येक गठबंधन सहयोगी अपनी ताकत और क्षेत्रीय प्रभाव के आधार पर चुनावी रणनीति बना रहा है। जातीय समीकरण, विकास कार्य और स्थानीय मुद्दों को लेकर गठबंधन का संदेश जनता तक पहुंचाना मुख्य चुनौती है। सुमित का प्रयास है कि वे अपने अभिमन्यू साहस के बल पर विरोधियों के चक्रव्यूह को भेदें और विधानसभा क्षेत्र में गठबंधन का प्रभाव मजबूत करें।
चुनावी माहौल और जनता की उम्मीदें
चकाई की जनता इस बार तीसरे उम्मीदवार के विकल्प की उम्मीद करती है। हालांकि, पिछले अनुभव दर्शाते हैं कि दो प्रमुख परिवारों और गठबंधन प्रत्याशियों के बीच मुकाबला सबसे निर्णायक होगा। मतदाताओं की नजर विकास कार्यों, उम्मीदवार की सक्रियता और गठबंधन की नीति पर टिकी है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सुमित के लिए चुनौती केवल विरोधियों की ताकत नहीं, बल्कि स्थानीय मतदाताओं के विश्वास और गठबंधन के समन्वय को बनाए रखना भी है। इस बार का चुनाव चकाई विधानसभा के लिए राजनीतिक दृष्टि से निर्णायक माना जा रहा है।