देश की संसद को लोकतंत्र का मंदिर माना जाता है, लेकिन हाल ही में सामने आया एक वीडियो इस पवित्र स्थान की मर्यादा पर सवाल खड़े कर रहा है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद किरती आजाद पर संसद भवन के अंदर ई-सिगरेट पीने का आरोप लगा है। भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक वीडियो भी सार्वजनिक किया है, जिसमें किरती आजाद संसद की कार्यवाही के दौरान ई-सिगरेट का इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं।
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यह वीडियो साझा करते हुए किरती आजाद की इस हरकत को पूरी तरह अस्वीकार्य बताया है। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी से इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है।
संसद में क्या हुआ
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने 12 दिसंबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद पर आरोप लगाया था कि वह सदन के अंदर ई-सिगरेट का इस्तेमाल कर रहे थे। हालांकि, उस समय अनुराग ठाकुर ने किसी का नाम नहीं लिया था, लेकिन अब भाजपा ने साफ तौर पर किरती आजाद का नाम सामने ला दिया है।
वीडियो में देखा जा सकता है कि किरती आजाद अपनी हथेली में ई-सिगरेट छिपाकर संसद की कार्यवाही के दौरान उसका इस्तेमाल कर रहे हैं। यह घटना संसद की गरिमा और अनुशासन के साथ खिलवाड़ माना जा रहा है।
The TMC MP accused by BJP MP Anurag Thakur of vaping inside Parliament is none other than Kirti Azad. For people like him, rules and laws clearly hold no meaning. Just imagine the audacity, hiding an e-cigarette in his palm while in the House!
Smoking may not be illegal, but… pic.twitter.com/kZGnYcP0Iu
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 17, 2025
भाजपा का आरोप और मांग
अमित मालवीय ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि किरती आजाद जैसे लोगों के लिए नियम और कानून का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि संसद के अंदर ई-सिगरेट छिपाकर इस्तेमाल करने की हिम्मत देखिए। धूम्रपान करना भले ही गैरकानूनी न हो, लेकिन संसद में इसका उपयोग पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
भाजपा नेता प्रदीप भंडारी ने भी इस घटना को लोकतंत्र के मंदिर का अपमान बताया है। उन्होंने ममता बनर्जी से जवाब मांगते हुए कहा कि टीएमसी के सांसद देश की जनता के सामने क्या उदाहरण पेश कर रहे हैं। उन्होंने इस कृत्य को अपराध की संज्ञा दी है।
ई-सिगरेट पर भारत में प्रतिबंध
यह ध्यान देने योग्य बात है कि भारत में कुछ साल पहले ही ई-सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा चुका है। सरकार ने युवाओं को तंबाकू और निकोटीन उत्पादों से दूर रखने के लिए यह सख्त कदम उठाया था। ऐसे में एक सांसद का संसद के अंदर ही प्रतिबंधित वस्तु का इस्तेमाल करना न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि देश की युवा पीढ़ी के सामने एक गलत संदेश भी भेजता है।
अनुराग ठाकुर की लिखित शिकायत
अनुराग ठाकुर ने अपनी लिखित शिकायत में कहा था कि एक तृणमूल कांग्रेस सांसद को सदन की कार्यवाही के दौरान खुलेआम इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट का उपयोग करते देखा गया। यह कृत्य सदन में मौजूद कई सदस्यों को साफ तौर पर दिखाई दिया।
उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के सबसे पवित्र स्थान लोकसभा के अंदर प्रतिबंधित पदार्थ और डिवाइस का खुला उपयोग न केवल संसदीय शिष्टाचार और अनुशासन का घोर उल्लंघन है, बल्कि सदन द्वारा बनाए गए कानूनों के तहत एक संज्ञेय अपराध भी है। ऐसा आचरण सदन की गरिमा को कम करता है और एक बेहद खराब मिसाल पेश करता है।
संसदीय गरिमा का सवाल
अनुराग ठाकुर ने अपनी शिकायत में स्पीकर से तत्काल संज्ञान लेने और उचित समिति या तंत्र के माध्यम से इस घटना की जांच कराने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा के नियमों और कार्य संचालन के अनुसार संबंधित सदस्य के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की जाए।
ठाकुर ने जोर देकर कहा कि अनुकरणीय कार्रवाई की जानी चाहिए और इसे रिकॉर्ड में दर्ज किया जाना चाहिए ताकि सदन की पवित्रता और गरिमा बनी रहे। उन्होंने यह शिकायत तब लिखी जब स्पीकर ने उन्हें बताया कि वह केवल लिखित शिकायत मिलने पर ही कार्रवाई करेंगे।
किरती आजाद का जवाब
इस पूरे मामले पर किरती आजाद ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अनुराग ठाकुर की शिकायत पर कहा कि उन्होंने सदन का समय बर्बाद किया है। हालांकि, आजाद ने इस आरोप का सीधा खंडन नहीं किया है कि वह संसद में ई-सिगरेट का इस्तेमाल कर रहे थे या नहीं।
राजनीतिक घमासान
यह मामला अब राजनीतिक घमासान का रूप ले चुका है। भाजपा ने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया है और ममता बनर्जी से सार्वजनिक रूप से स्पष्टीकरण मांगा है। दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
यह घटना संसद की मर्यादा और सांसदों के आचरण पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। जनता के प्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि वे कानून का पालन करें और देश की युवा पीढ़ी के लिए एक अच्छा उदाहरण पेश करें। यदि खुद जनप्रतिनिधि ही प्रतिबंधित वस्तुओं का इस्तेमाल करेंगे, तो आम जनता से कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वे कानून का पालन करें।
अब देखना यह होगा कि लोकसभा अध्यक्ष इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं और क्या किरती आजाद के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कदम उठाया जाता है या नहीं। यह मामला संसदीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है।